Shri Somnath Jyotirling

                  श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
   आईए जानते हैं सोमनाथ मंदिर के इतिहास के बारे में 
श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंगो  गुजरात राज्य के जूनागढ़ जिले में सागर तट पर बसा एक दर्शनीय स्थित स्थान है। यह मंदिर प्राचीन तथा आकर्षक है श्री !सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का कथा अनुसार राजा दक्ष की 27वीं कन्या थी जिनका विवाह भगवान चंद्रमा जिन्हें सोम भी कहते हैं के साथ संपन्न हुआ राजा दक्ष प्रजापति की सभी कन्याएं सोम अत्यंत करती थी परंतु सोम का झुकाव उनमें से एक रोहिणी की और अत्यधिक था सोम रोहिणी से तो अत्यंत प्रेम करता व शेष 23 अपनी अर्धांगिनियों का तिरस्कार करता था। 
जिससे 
क्षब्द होकर शेष कन्याएं अपने पिता राजा दक्ष के पास गई तथा अपनी व्यथा सुनाई। राजा दक्ष अपनी कन्याओं को दुखी देखकर अत्यंत क्रोधित हुए उन्होंने पहले तो सोम को समझाया परंतु उसके आचरण से राजा दक्ष भी दुखी हो गए अतः उन्होंने सोम को श्राप दे दिया कि तुम महिन होकर क्षीण हो जाओगे। राजा दक्ष का श्राप चंद्रमा को इस कदर लगा कि अब चंद्रमा सोम क्षयी होने लगा। सोम घबराकर सभी देवताओं के पास गए सभी देवताओं ने सलाह दी की तुम ब्रह्मा जी के पास जाओ वही इस दोष का हाल बता सकते हैं। अतः सोम को ब्रह्मा जी ने बोले कि तुम्हें प्रभास नामक स्थान पर जाकर शिव की आराधना करके शिवजी को प्रसन्न करना होगा।
         वे ही इस श्राप से तुम्हें मुक्ति दिला सकते हैं सोम ने प्रचास पाटण में जाकर 6 माह तक लगभग 10 करोड़ महामृत्युंजय मंत्रो का जाप किया। जिससे प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए तथा सोम से वरदान मांगने को कहा सोम ने श्राप मुक्ति की आराधना की तब शिवजी बोले कि मैं राजा दक्ष प्रजापति के श्राप को मिटा नहीं सकता लेकिन इसका तुम्हें आशीर्वाद अवश्य दूंगा कि तुम्हारी एक एक कला कृष्ण पक्ष में प्रतिदिन चीन होगी तथा शुक्ल पक्ष में प्रतिदिन एक-एक कला बढ़ जाया करेंगी। इस तरह सोम सोम को लभा श्राप मुक्त हुआ तथा सोम की  ही आराधना पर भगवान भोलेनाथ यहां सोमेश्वर ज्योतिर्लिंग नाम धारण करके विराजमान हो गए प्रभास पाटन की महिमा दसों दिशाओं में जानी पहचानी जाती है स्वर्ग लोक के सभी देवताओं ने भी सोम को आशीर्वाद प्रदान किया तथा इस क्षेत्र में सोम कुंड की स्थापना की। इस कुंड में स्वयं भगवान शिव तथा ब्रह्मा जी का निवास स्थान माना जाता है 

   श्री सोमेश्वर मंदिर सौराष्ट्र प्रदेश के जूनागढ़ जिले में स्थित है यह तीर्थ स्थान अरब सागर से जुडा होने की वजह से व्यापारिक केंद्र भी बना हुआ है। यह कटिया बाड क्षेत्र भी कहलाता है यह स्थान वेरावल से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है सोमनाथ मंदिर की भव्यता पौराणिक तथा आकर्षक है मंदिर के गुबज ,दीवारों व पिलरों पर सुंदर नककाशी की गई है। लगभग ढाई फीट ऊंचा यही शिवलिंग भक्त जनों का मन मोह लेता है सोमनाथ मंदिर से पूर्व दिशाओं में हिरण्य सरस्वती एवं कपिल नदियों का संगम है भगवान श्री कृष्ण ने इसी वेरावल नगरी में अपना देह त्याग किया था किया था श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने लाखों भक्त यहां आते हैं प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा वी शिवरात्रि पर यहां भारी मेला लगता है इस दौरान भगवान सोमनाथ का भव्य श्रृंगार किया जाता है भक्ता इस तेज में ज्योतिर्लिंग के दर्शन करके अपने पापों से मुक्ति पाते हैं।  
मंदिर में आरती तीन बार  की जाती है। जिस  का समय सुबह 7 बजे। दोपहर 12 बजे। शाम 7 बजे।  लेजर शो शाम 7:30 बजे।  आनंद ले  सकते हैं। 
सोमनाथ की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय।

गुजरात के पश्चिमी तट पर स्थित एक छोटा सा मंदिर शहर, सोमनाथ की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी के बीच सर्दियों के दौरान है। इस समय के दौरान मौसम सोमनाथ के आकर्षणों को देखने के लिए सबसे अनुकूल और सुखद होता है
श्री सोमनाथ मंदिर के अलावा यहां कई मंदिर है जिनमें प्रमुख है 
अहिल्याबाई मंदिर ।
 महाकाली मंदिर।
भद्रकाली मंदिर।
श्री गणेश मंदिर ,विष्णु मंदिर।
गौरीकुंड सरोवर।
प्रचित त्रिवेणी ।
बाढ़,तीर्थ कृष्ण।
मंदिर श्री राम मंदिर।
श्री कृष्ण।
मंदिर सूर्य मंदिर।
                        भालका तीर्थ
  वेरावल प्रभास पाटन मार्ग पर भालका तीर्थ मंदिर आया हुआ है ऐसा माना जाता है कि  भगवान  श्री कृष्ण यहा सोये हुये थे  तब जर नामक शिकारी ने हिरन समझकर तीर मारा था। तीर से घायल होकर श्री कृष्णा श्री कृष्णा ने यहां क्या किया था अतः भालका तीर्थ कहलाया यहां भगवान श्री कृष्ण के अंतिम दर्शन होते हैं


                            त्रिवेणी संगम
त्रिवेणी संगम वह स्थान है जहां भगवान श्री कृष्ण और के पार्थिक  देह का अग्नि संस्कार हुआ था यह स्थान अरबी समुद्र के किनारे कपिल हिरण और सरस्वती नदी के त्रिवेणी संगम स्थान पर आया हुआ है इस स्थान को देहोत्सग क्षेत्र भी कहा जाता है 
                                शारदा मठ
त्रिवेणी के पास श्री जगतगुरु शंकराचार्य जी का मठ  आया हुआ है इस मठ के प्रांगण में श्री कामनाथ महादेव मंदिर, श्री नृसिहं जी और श्री आज आज शंकराचार्य जी के नए मंदिर आए हुए हैं
                             गीता मंदिर
इस स्थान पर भगवान श्री कृष्ण का सुंदर मंदिर है मंदिर के आरस के स्तंभों पर श्रीमदल्ल  भागवदलल  गीता के अध्याय अंकित किए गए हैं।  इससे इस मंदिर को गीता मंदिर कहां गया हैयहां बलराम जी की गुफा भी है ।यहां बलराम जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा की गई है।।इसके नजदीक में लक्ष्मी नारायण मंदिर ओंकारेश्वर और महाप्रभु जी की बैठक भी बनाई गई है। 
                              वाण गंगा 
भीडिया नामक क्षेत्र के पास आये हुये समुद्र  के जल में वाणगंगा शिवलिग़ है। इसे वाणेश्वर  भी कहते है। यहां पर पांच शिवलिंग एक साथ विराजमान है ।      .                             राम मंदिर 
यहां सोमनाथ मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर आप राम मंदिर के दर्शन कर सकते हो राम मंदिर में राम भगवान सीता माता राम लक्ष्मण सीता के दर्शन आप प्राप्त कर सकते हो और यहां पर घूमने की और भी जगह गार्डन जैसा बनाया गया है इसका भी आनंद आप ले सकते हो यहां पर भोजन की व्यवस्था भी निशुल्क रखी गई है जो सुबह 11:00 से 3:00 तक होती है


Comments

Popular posts from this blog

India metro rail system

NATIONAL HIGH SPEED RAIL CORPORATION LIMITED (NHSRCL) Operations & Maintenance (O&M) Vacancy 2025

Gujarat Metro Rail Corporation (GMRC) Assistant Manager Recruitment 2025